जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) कैंपस में रविवार शाम छात्र गुटों में जमकर मारपीट हुई। इससे दोनों पक्षों के 26 से अधिक छात्र घायल हो गए, जिनमें से 12 के सिर में गंभीर चोटें आईं हैं। घायलों में छात्र संघ अध्यक्ष आईशी घोष सहित महिला शिक्षक भी हैं। आईशी को गंभीर हालत में एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाया है। जेएनयू छात्रसंघ ने मारपीट व तोड़फोड़ का एबीवीपी पर आरोप लगाया है। जबकि, एबीवीपी का कहना है कि यह सब लेफ्ट ने किया है।
बताया जाता है कि नकाब पहने 40 से 50 युवकों की भीड़ कैंपस में पहुंची और हॉस्टल में घुसकर हमला किया। कई वाहनों को तोड़ दिया गया। देर रात तक 23 घायलों को एम्स ट्रामा और 3 को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया था। आरोप है कि हमलावर छात्राओें के हॉस्टल में भी घुस गए और मारपीट की। हमले की सूचना के बाद कई एंबुलेंस कैंपस पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। हालांकि इस घटना के बाद जेएनयू प्रशासन से लेकर दिल्ली पुलिस तक पर कई सवाल उठ रहे हैं जिनके जवाब मिलने बेहद जरूरी हैं। इन सवालों के जवाब से कई बातें खुल कर सामने आ सकती हैं जो इस घटना के पीछे की असलियत सामने ला देंगी। जानिए क्या हैं वो सवाल-
कैंपस में कैसे घुसे नकाबपोश गुंडे, क्या कर रही थी सिक्योरिटी?
जेएनयू में हुए बवाल के बाद जो सबसे पहला सवाल उठ रहा है वो ये कि आखिर इतने सुरक्षित कैंपस में लाठी-डंडों के साथ नकाबपोश गुंडे इतनी तादाद में कैसे घुसे? जिस कैंपस में घुसने के लिए मीडिया को भी अपना आई कार्ड दिखाना पड़ता है और जहां हर आगंतुक किससे मिलने आया है उससे फोन पर कंफर्म होने के बाद ही आगंतुक को एंट्री दी जाती है। वहां 50 से अधिक लोग नकाब पहनकर घुस आए और हॉस्टल में भी तोड़फोड़ की ये कैसे संभव है?
कैंपस में चार घंटे तक रही अराजतकता, क्या कर रहा था प्रशासन?
जेएनयू कैंपस के अंदर करीब चार घंटे तक अराजकता का माहौल रहा। नकाब पहने लोग हॉस्टलों में छात्रों के साथ बर्बरता करते रहे लेकिन जेएनयू प्रशासन ने सुध क्यों नहीं ली। इस दौरान प्रशासन सामने क्यों नहीं आया? पुलिस के मुताबिक जेएनयू से शाम 4 बजे से ही पीसीआर कॉल्स आनी शुरू हो गई थीं। पुलिस को 90 से ज्यादा पीसीआर कॉल्स की गईं। आखिर पुलिस को पहले कैंपस में घुसने की इजाजत क्यों नहीं मिली?
कौन थे जेएनयू में बवाल करने वाले नकाबपोश लोग?
जेएनयू के इतिहास में पहली बार इस तरह की हिंसा हुई जिसमें दर्जनों छात्र घायल हो गए। यह हिंसा करने वाले करीब 40-50 लोग थे। अब बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये नकाबपोश लोग कौन थे और उन्हें किसने बुलाया था?
प्रशासन ने क्यों जख्मी छात्रों को अस्पताल नहीं पहुंचाया?
जेएनयू हिंसा में कई छात्र बुरी तरह घायल हो गए। कई छात्रों के तो सिर तक फट गए थे लेकिन जेएनयू प्रशासन ने जख्मी छात्रों को अस्पताल नहीं पहुंचाया। आखिर ऐसा क्यों हुआ कि प्रशासन ने छात्रों को अस्पताल तक नहीं पहुंचाया?
पुलिस मुख्य गेट के बाहर क्यों खड़ी रही?
जब सारा कैंपस के अंदर सारा बवाल चल रहा था तो पुलिस मुख्य गेट के बाहर खड़ी रही। आखिर ऐसा क्यों हुआ कि पुलिस मुख्य गेट के बाहर रही। पुलिस करीब पौने नौ बजे पुलिस को कैंपस में आने की अनुमति मिली।