जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि इस साल 20 मार्च को ही सूर्य भूमध्य रेखा पर आ गया। जिससे दिन-और रात बराबर रहे। यानी दोनों की अवधि 12-12 घंटे रही। हालांकि ऐसी स्थिति ज्यादातर 21 मार्च को बनती है, लेकिन इस बार ये भौगोलिक घटना 20 मार्च को ही हो गई। इससे पहले 2016 और 17 में भी 20 मार्च को सूर्य भूमध्य रेखा पर आ गया था। इसे वसन्त सम्पात भी कहा जाता है। मार्च के अलावा 22 और 23 सितंबर को भी दिन और रात बराबर होते हैं। लेकिन सूर्य दक्षिणी गाेलार्द्ध में प्रवेश कर जाता है। उसके बाद दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं।
- जब सूर्य भूमध्य रेखा, कर्क रेखा और मकर रेखा पर होता है। तब क्रमश: मार्च विषुव, जून अयनांत, सितंबर विषुव, दिसंबर अयनांत चार सूर्य स्थितियां बनती है। इस बार 20 मार्च यानि आज वसंत विषुव को सूर्य भूमध्य रेखा पर है। इस समय कोई व्यक्ति भूमध्य रेखा पर खड़ा हो तो सूर्य उसे सीधे अपने सिर के ऊपर दिखाई देगा और एक निश्चित समय पर उस की परछाई शून्य हो जाएगी।
कहां कहां से गुजरती है भूमध्य रेखा
भूमध्य रेखा चौदह देशों में से स्थल या जल से होकर जाती है। पृथ्वी की सतह पर अधिकतर भूमध्य रेखीय क्षेत्र समुद्रीय ही हैं। भूमध्य रेखा के आस-पास के स्थान अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना के लिए अ'छे होते हैं। गुयाना अंतरिक्ष केंद्र, कौरोऊ व फ्रेंच गुयाना का अंतरिक्ष केंद्र भी भूमध्य रेखा पर ही स्थित है।
उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रवेश
20 मार्च को मेष राशि में सूर्य भूमध्य रेखा पर आने के बाद अब उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश करेगा। सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश के कारण भारत सहित ऐसे देश जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित हैं, उनमें दिन की अवधि धीरे-धीरे बड़ी होने लगेगी और रातें छोटी हो जाएंगी। यह स्थिति 21 जून तक रहेगी। सूर्य के विषुवत रेखा पर लंबवत रहने की इस स्थिति को वसंत संपात भी कहा जाता है।
वेधशाला में देखी गई 0 डिग्री पर सूर्य की स्थिति
वेधशाला अधीक्षक डॉ. गुप्त के अनुसार शंकु यंत्र और नाड़ीवलय यंत्र से 0 डिग्री पर सूर्य की स्थिति को देखा गया। उन्होंने बताया 20 मार्च को पूरे दिन शंकु की छाया सीधी रेखा में गमन करती हुई दिखाई दी। इससे पहले 24 सितंबर से 19 मार्च तक नाड़ी वलय यंत्र के दक्षिणी हिस्से पर धूप थी। अब 21 मार्च से अगले 6 महीने यानी 22 सितंबर तक इस यंत्र के उत्तरी गाेल हिस्से पर धूप रहेगी। इस तरह सूर्य के गोलार्द्ध परिवर्तन को सीधे देखा जा सकता है।